May 2017

Saturday, 20 May 2017

तमिल काम वाली ने चूत चोदना सिखाया-1


फ्रेंड्स.. मेरा नाम महेश है, मुझे सभी माही बुलाते हैं। मैं पुणे में रहता हूँ। मेरी उम्र 27 साल है और मैं 5 फीट 9 इंच लंबा सांवला सा लड़का हूँ। मेरा लंड 7 इंच लंबा और 2.5 इंच मोटा है।
मैं पहली बार अपनी रियल सेक्स स्टोरी आप सभी को सुना रहा हूँ।
यह कहानी 2 साल पहले की है, जब मैं काम के सिलसिले में मेरे कजिन भाई के पास गया, वे अर्नी (तमिलनाडु) में रिफाइनरी चलाते हैं।उनसे बिजनेस की ट्रेनिंग लेने जब मैं अर्नी पहुँचा, तब मैं सेक्स की भूख से बेहाल एक गबरू नौजवान लौंडा था।
मेरे भाई को अक्सर तमिलनाडु से महाराष्ट्र यात्रा करनी पड़ती थी।
उनका घर और वर्कशॉप एक ही मकान में ही था। उनके यहाँ एक आंटी काम करने आती थी, जो उम्र में मुझसे 10 साल बड़ी थी पर सच में दोस्तो, वो बहुत माल किस्म की आंटी थी। उसका साइज़ 36-30-36 का था और वो मद्रासी साड़ी में कमाल दिखती थी।
उसको देख कर हर बार मेरा लौड़ा तन जाता था और उसके मटकते चूतड़ों को देख कर सिपाही की तरह सलामी देने लगता था। वो गोरी और भरे बदन की एक मदमस्त जलजला थी।
मेरी भाभी को 3 बच्चे ऑपरेशन से हुए थे.. इसलिए वो आराम करती और कामवाली पूरे घर का काम करती। मैं उसकी बड़ी-बड़ी चुचीको देखने के लिए बार-बार उसकी मदद के लिए आ जाता।
वो हर बार साड़ी को घुटनों तक उठा कर काम करती.. तो मेरा लंड बेकाबू हो कर फनफनाने लगता। वो मुझे कामुक निगाहों से देखती तो थी.. पर कोई इशारा भी नहीं देती थी।
मैं हर बार उसके बड़े चूतड़ों को देख कर बाथरूम में जाकर मुठ मार लेता था।
एक दिन भाभी ने हम दोनों को किसी तमिल फेस्टिवल की तैयारी के लिए पूरे घर को धोने को कहा।
मैं तो ऐसी ही क़िसी तैयारी में था। मैंने पानी से भीगने के डर से सिर्फ़ निक्कर पहन ली और कामवाली को भी साड़ी को ऊपर बाँधने को कहा।
उसने वैसा ही किया.. उसने अपनी साड़ी का पल्लू कमर पर बाँध दिया, जिससे उसकी चुची उसके ब्लाउज से बाहर लटकती हुई दिख रही थी।
साथ ही उसने अपनी साड़ी उठा कर घुटनों के ऊपर तक उठा ली, जिससे उसकी गोरी-गोरी जांघें दिखने लगीं।
मैं जानबूझ कर उसकी टांगों पर पानी गिरा रहा था। वो झुक कर फ्लोर धोती.. तो उसकी 36 साइज़ की चुची उछल-उछल कर बाहर आने की कोशिश करने लगते।
मैं बेकाबू हो रहा था.. मेरा लंड एकदम टाइट हो गया था। मैंने एक बार पानी से भरी बाल्टी गिराते समय फ्लोर पर फिसलने का बहाना किया और जब वो चूतड़ हिलाते हुए मुझे उठाने आई तो मैंने उसे अपने ऊपर गिरा लिया। वो इसके लिए तैयार नहीं थी.. इससे हुआ ये कि हड़बड़ी में उसका एक हाथ मेरे निक्कर पर फूले हुए टाइट लंड से छू गया.. और इसी के साथ उसकी चुची की लकीर में मेरा मुँह चला गया।
मैंने मौका देखता ही उसकी चुची की लकीर में मुँह डाल कर चुची को किस कर दिया। चुची चूसी ही.. साथ में दूसरे हाथ से उसके चूतड़ दबा दिए।
वो एकदम हिल गई।
वो भी पानी में भीग चुकी थी.. मैं भी गीला था। मेरे लंड के स्पर्श से उसके बड़े साइज़ के अहसास से वो डर गई और जल्दी से उठने लगी, पर मैं समझ गया था कि उसे मेरे लंड को पकड़ना अच्छा लगा था।
वो तमिल में कुछ बोली, पर मैं नया था इसलिए मैं समझ नहीं पाया।
वो सिर्फ़ मुस्कुरा दी और मुझे धक्का देकर काम करने लगी, मैं लंड मसल कर रह गया।
घर में सभी थे इसलिए मैं ज्यादा कुछ नहीं कर पाया.. पर साफ सफाई करते-करते उसने इशारा करके मुझे पास के कमरे में बुलाया और मुझे निक्कर उतार कर पेंट पहनने को बोला।
मैं समझ गया कि मेरी भीगी हुई निक्कर में उसे लंड का पता चल रहा था और वो खुद काबू में रहने के लिए मुझे पेंट पहनाना चाहती थी।
पर मेरे पास यही मौका था.. तो मैंने उससे दूसरे कमरे में आराम कर रही भाभी को नहीं बताने को बोला।
मैंने एक झटके के साथ अपनी निक्कर उसके सामने उतार दी, जिससे मेरा खड़ा लंड मेरी अंडरवियर में खड़ा दिखाई देने लगा।
अभी वो संभल पाती, इससे पहले ही मैं दरवाजे के रास्ते में आकर पेंट पहनने का नाटज़ करने लगा और उसे मेरा खड़ा लंड दिखाने लगा। वो भी शरमाते हुए बार-बार मेरे लंड को निहार रही थी।
मैंने पेंट पहनते समय मेरी कमर के नीचे रोक दी और उसे ये दिखाने लगा कि मेरे खड़े लंड की वजह से मैं पेंट नहीं पहन पा रहा हूँ।
वो मुझे देखती रही.. पर कुछ नहीं बोली।
उसने पास ही पड़ी दूसरी जीन्स मेरी तरफ बढ़ा दी। इस वक़्त भी वो सफाई करने के लिए साड़ी ऊपर किए हुई थी और उसके ब्लाउज से झाँकते उसकी चुची उसकी हर सांस के साथ बाहर आने को बेताब लग रही थी।
मैंने इस बार भी जीन्स पहने की नाकाम कोशिश की और खड़ा हुआ लंड अंडरवियर से ही उसे दिखाता रहा।
जब मैं पेंट नहीं पहन पाया तो उसने मुझे एक मासूम सी स्माइल दी और मुझे एक साइड में धक्का देकर बाहर निकल गई।
मैं समझ गया कि लाइन क्लियर है और मैं उसी के सामने जाकर अपना लंड मसलने लगा। वो मुझे ‘बदमाश’ बोल कर काम खत्म करने लगी।
मैं भी मन मार कर बस उसकी थिरकती चुची को देखता रहा।
सफाई के बाद वो सारा समय स्माइल करती रही और मुझे पागल कर गई। उस दिन मैंने उसकी चुची और चूतड़ों को याद करके 2 बार मुठ मारी।
इसके अलावा मैं और क्या करता.. बेडरूम में भाभी सो रही थीं और बाहर वर्कशॉप में भाई थे।
अब तो मुझे बस एक मौका चाहिए था, जो दूसरे दिन ही मुझे मिल गया।
तमिल फेस्टिवल के दूसरे दिन मेरे भैया भाभी बच्चों के साथ दूसरे शहर के शिवमंदिर में जाने के लिए निकलने वाले थे.. उन्होने मुझे बताया कि वर्कशॉप बंद रहेगी, पर कुछ ग्राहक पेमेंट देने के लिए आएँगे तो मुझे रुकना पड़ेगा।
मैं बहुत खुश हुआ, भैया पहली बार मुझे घर पर अकेला छोड़ कर जा रहे थे। मैं उनके जाने का इन्तजार करने लगा।
उनके जाने के बाद जैसे ही कामवाली आई, आज तो मैं उसे देखकर हिल गया..
वो एक नई रेड साड़ी में बॉम्ब लग रही थी। उसकी चुची उसके टाइट ब्लाउज में से बाहर आने को मचलती हुई दिख रही थी। उसने मोगरे का बड़ा सा गजरा लगाया हुआ था, लाल रंग की लिपस्टिक लगाई हुई थी और उसके पूरे बदन से चंदन की खुशबू आ रही थी। उसने चंदन और हल्दी से स्नान किया था.. वो बहुत ही खूबसूरत लग रही थी।
मेरा लंड फिर से बेकाबू होने लगा।
मैंने उससे इशारों में बताया कि घर पर कोई नहीं है.. मैं अकेला हूँ।
उसने भी मुझे इशारे में बता दिया कि उसे मालूम था.. कल ही भाभी ने उससे बाहर जाने को कह दिया था।
उसने अन्दर आते ही मुझे पीछे की तरफ करके खुद दरवाजा बंद कर दिया, मैं हैरान रह गया।
अभी मैं पीछे से उसके बड़े चूतड़ों को हिलते देख कर पागल हो रहा था, तभी उसने मेरे हाथ को पकड़ा और अन्दर ले गई। उसने मुझे धक्का देकर सोफे पर गिरा दिया और मादक मुस्कान के साथ तमिल में कुछ मीठी-मीठी बातें करने लगी थी। पर मैं नया था.. अभी इतनी तमिल नहीं जानता था, पर मैं समझ गया था कि ये कामवाली आज मुझसे अपना काम लगवाएगी।
मेरे नासमझी को वो बहुत प्यार से ले रही थी। जब वो मुझ पर झुकी तो मैंने झटके से अपने दोनों पैरों को उसकी जाँघों से सटा दिया। तभी उसका पल्लू गिरा.. तो मैं उसकी चुची को देखने लगा।
मेरा लंड खड़ा था.. वो मुझे और गर्म करने लगी। जब मैं कुछ नहीं समझा तो उसने मेरे चेहरे पर हाथ रखते हुए मुझे ‘हीरो..’ कहा और मेरा गाल सहला दिया।
मैंने भी थोड़ी तमिल मारते हुए उसे सुपर सेक्सी बोल दिया।
उसने इशारा मिलते ही मुझे हाथ पकड़ कर सोफे से उठा दिया और एक आँख मारी। मैंने भी इशारा मिलते ही उसे अपनी बांहों में जकड़ लिया और अपने होंठों को उसके होंठों पर रख दिया। वो कसमसा गई और उसने भी मुझे कस कर पकड़ लिया।
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मैंने उसे दोनों बांहों में जकड़ लिया.. और उसके होंठों को 2 मिनट तक चूसता रहा। वो कभी मेरे ऊपर वाले होंठ को काटती, तो कभी नीचे वाले होंठ को चूसती। मैं भी उसकी जीभ को अपने मुँह में लेकर चूस रहा था। वो लम्बी-लम्बी साँसें लेने लगी.. जिससे उसके बड़े-बड़े चूचे मेरे सीने से टकराने लगे।
मैं बहुत गर्म हो गया था.. मेरा लंड तंबू फाड़ कर बाहर आना चाहता था, वो मेरी निक्कर में टाइट हो रहा था।
उधर कामवाली मेरे होंठों को चूस रही थी, तो मैं एक हाथ से उसके चूतड़ दबा रहा था और दूसरे हाथ से उसके ब्लाउज के ऊपर से ही उसकी चुची की मोटाई नाप रहा था। वो मुझे ऐसे चूस रही थी जैसे लॉलिपॉप चूस रही हो। मैं भी उसका साथ दे रहा था, उसके दोनों होंठों को संतरों की फांकों की तरह चबा रहा था।
हमारी साँसें तेज चल रही थीं, तभी उसने एक हाथ में मेरा लंड पकड़ लिया और मेरे तड़प रहे लंड को काबू में करने लगी।
दूसरे हाथ से उसने मुझे पीछे धकेल कर अपने होंठों को आज़ाद कर दिया। अब मुझसे अन्दर वाले रूम की तरफ इशारा करके अपने हाथ से मेरे लंड को हिला कर मुस्कुराने लगी।
मुझे और क्या चाहिए था। मैंने झुक कर उसके ब्लाउज के ऊपर से उसकी चुची को काटा.. तो उसके मुँह से सिसकारी निकल गई।
वो ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ करके रह गई।
वो चुदास के चलते मुझे हसरत की निगाह से देख कर बेडरूम में ले जाने की मिन्नत करने लगी। मैंने उसे कमर से पकड़ कर उठाया और उसे बेडरूम में ले गया।
कमरे में पहुँच कर उसने मुझे हल्का सा धक्का दिया और पीछे मुड़ कर दरवाजा बंद कर दिया।
मैंने पीछे से उसके मोटे-मोटे चूतड़ों पर धावा बोल दिया और साड़ी के ऊपर से ही अपना मुँह उसके चूतड़ों पर रगड़ने लगा। उसने अपने आपको घुमा कर अपनी जाँघों को सामने किया और मेरे चेहरे को अपने हाथों में पकड़ लिया।
मैं उसकी लाल साड़ी में उसके बदन को नाप रहा था कि उसने अपने ऊपर से साड़ी का पल्लू गिरा दिया। उसकी चुची ब्लाउज से बाहर आने को हो रही थी।
मैंने अपना हाथ बढ़ाया और उसके ब्लाउज के बटन खोलने लगा। उसकी टाइट ब्रा में चुची ऐसे लग रही थी, जैसे फ्रूट्स की दुकान में खरबूजे सज़ा कर रखे हों।
मैं दोनों हाथों से उसकी चुची को रगड़ रहा था और वो मादक सीत्कारें भरने लगी।
मैंने ज्यादा देर ना लगाते हुए उसकी ब्रा भी खोल दी।
ओए होए.. मेरे तो होश ही उड़ गए.. इतनी मस्त चुची मैंने पहली बार देखी थी। मैं उसकी चुची को आँखें फाड़ कर देख रहा था।
तभी उसने मुझसे कहा- राज्जा शीघ्रम वा..
मतलब वो जल्दी आने की बोल कर मेरे चेहरे को कस कर अपने मम्मों पर रगड़ने लगी।
दोस्तो, अगले भाग में इस तमिल कामवाली की मदमस्त चुदाई की कहानी को पूरा लिखूंगा, अभी आप मुझे मेल कीजिएगा।
mahesh.kadam30j@gmail.com
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बरसात की रात में गर्लफ्रेंड की चूत चुदाई की कहानी


दोस्तो.. मैं अपनी गर्लफ्रेंड की पहली बार की चूत चुदाई की कहानी आपको बता रहा हूँ।
मेरा नाम संभव है.. मैं इंदौर का रहने वाला हूँ। मेरी उम्र 20 साल है.. रंग गोरा है और हाइट 5 फुट 8 इंच है। मेरे लंड का साइज आपको बाद में पता चल जाएगा।
जो किस्सा मैं आपको सुनाने जा रहा हूँ, वो आज से ठीक एक साल पहले की है। उस वक्त मैं 12वीं क्लास में था। तब मेरी एक हॉट गर्लफ्रेंड हुआ करती थी, जिसका नाम रश्मि था। वो बहुत सेक्सी थी.. उसकी हाइट लगभग साढ़े पांच फुट की थी। रश्मि के चूचे बहुत बड़े थे और गांड भी बहुत ही उठी हुई थी। उसका रंग एकदम दूध सा गोरा था।
हमारी 12वीं के एग्जाम होने के बाद हम दोनों ने घर पर बोल दिया कि हमारा ग्रुप कम्पटीटिव एग्जाम के लिए गोवा जा रहा है।
घर से परमीशन मिलते ही हमने जल्दी से फ्लाइट के टिकट बुक करवाए और गोवा के लिए निकल गए।
अब तक हम दोनों अक्सर सेक्स चैट और फोन सेक्स किया करते थे, पर कभी मैंने उसकी गांड नहीं मारी थी और ना कभी उसकी चूत में अपना लंड डाला था। वैसे एक-दो बार कोशिश की थी पर बात नहीं बनी थी।
हम लोग जल्द ही गोवा पहुँच गए। हम दोनों पहली बार यहाँ आए थे तो इधर का माहौल देख कर हम दोनों बहुत खुश हुए। हालांकि उस टाइम गोवा में मौसम कुछ अच्छा नहीं था.. वहाँ लगातार बारिश हो रही थी।
जिस दिन हम पहुँचे थे, उस दिन भी रुक-रुक कर बारिश हो रही थी।
हमने अपने ग्रुप से अलग होकर एक होटल में रूम ले लिया और उस दिन वहीं रहने का सोचा।
फिर अगले दिन सुबह जब हम दोनों उठे तो वहाँ का मौसम बिल्कुल बदल चुका था। आसमान पूरा खुल गया था। उस दिन हम दोनों को बहुत अच्छा लगा.. और सोचा कि अब आराम से घूम पाएंगे.. और अच्छे से एंजाय कर पाएंगे। सुबह उठ कर हम फ्रेश हुए.. फिर रेडी हुए और फिर घूमने के लिए निकल पड़े।
सबसे पहले हम दोनों चर्च में गए। वहाँ थोड़ी देर रुके.. फिर उसके बाद हम बीच पर आ गए। उस दिन बीच का माहौल बहुत ही अच्छा था।
रश्मि आज स्कर्ट और टॉप में बहुत मस्त लग रही थी।
हमने अगले 4-5 दिन तक खूब मजे किए खूब मस्ती की। अलग-अलग जगह घूमने गए। मैंने उसे कई किस भी किए.. पर मैं उसकी चूत को ना पा सका।
वो गोवा में इतनी मस्त लग रही थी कि मैंने 2-3 बार तो अकेले में मुठ मार ली। मैंने भी सोच लिया था कि जब तक ये खुद नहीं देगी तब तक इसकी चूत को नहीं चोदूंगा।
अब यह बात है 21 अप्रैल की.. अगले दिन शाम में हम सभी को निकलना था हम दोनों ने 8 को भी खूब मस्ती की, खूब घूमे।
फिर रात में हम दोनों एक पब में चले गए, वहाँ हम दोनों ने बहुत डान्स किया और बहुत वाइन और व्हिस्की भी पी।
फिर जब हम होटल के लिए निकल रहे थे.. तो एकदम से बहुत जोर से बारिश शुरू हो गई। पहले तो हमने सोचा कि थोड़ी देर रुक जाते हैं.. पर बारिश रुकने का नाम नहीं ले रही थी।
अब मज़बूरी में निकलने की सोची कि चलते हैं.. भले भीग जाएं।
हम दोनों जैसे-तैसे होटल पहुँचे।
जब हम लोग होटल पहुँचे तो हम दोनों पूरी तरह बारिश में भीग चुके थे। वो बारिश में भीग कर और भी सेक्सी लग रही थी। उसके कपड़े पूरे भीग चुके थे। उसने इस वक्त एक छोटी सी शर्ट और एक मिनी स्कर्ट पहनी हुई थी।
शर्ट भीग चुकी थी तो उसके अन्दर एक पिंक रंग की ब्रा साफ़ दिख रही थी। इस समय वो बहुत ही हॉट और सेक्सी लग रही थी।
फिर वो जल्दी से बाथरूम में गई और उसने अपने बदन को सुखा कर दूसरे कपड़े पहन लिए।
जब मैं कपड़े चेंज कर रहा था, तो वो बाथरूम से अचानक आ गई। उस वक्त मैं सिर्फ़ एक फ्रेंची पहने हुए था।
मैंने उसे देखा.. उफ क्या लग रही थी.. उसके दो बड़े-बड़े चूचे और एक गोल सी बड़ी गांड देख कर तो मेरा लंड खड़ा हो गया, पर फिर मैं उसे एकदम से देख कर चौंक सा गया। मैंने उसकी आँखों में देखा तो उसकी नजरें मेरे 6″ के खड़े लंड की तरफ थीं।
बाहर बारिश बहुत जोर से हो रही थी तो हम दोनों बाहर तो जा नहीं सकते थे.. तो हम दोनों ने रूम में थोड़ा एंजाय किया।
फिर मेरा मन थोड़ा नॉटी हुआ.. क्योंकि वो बहुत सेक्सी दिख रही थी। मैं उसकी सेक्सी फिगर की तरफ देखने लगा, तो उसने इस बात को नोटिस किया।
फिर उसने अपने चूचे उठा कर पूछा- मैं कैसी लग रही हूँ?
तो मैंने मौके का फ़ायदा उठाते हुए कहा- तुम बहुत हॉट और सेक्सी लग रही हो।
वो शर्मा गई..
फिर मैंने देखा कि वो थोड़ा मूड में है, तो मैंने उससे कहा- चलो हम दोनों डान्स करते हैं।
वो भी मान गई.. फिर मैंने एक रोमाँटिक सा गाना चालू किया.. और हम दोनों रोमाँटिक कपल की तरह डान्स करने लगे।
मैंने उसकी कमर पर हाथ रखा तो वो थोड़ा सिहर गई। मुझे वो बहुत ही गरम लगी.. जैसे उसके बदन से मानो आग निकल रही हो।
फिर हम दोनों 5 मिनट तक बहुत ही रोमाँटिक डान्स करते रहे। नाचते हुए मेरा मन और भी नॉटी हो गया। मैंने जानबूझ कर अपना खड़ा हुआ लंड उससे टच किया, तो वो फिर और भी गर्म हो गई।
अब मैं उसके और करीब हो गया। उसने मेरी तरफ वासना से देखा तो मैंने उसके होंठों पर किस कर दिया।
वो भी किस करने में मेरा साथ देने लगी, पर मैंने जैसे ही उसके मम्मों पर टच किया.. तो वो घबरा गई।
उसने थोड़ा ड्रामा करते हुए कहा- यार संभव, ये सब ग़लत है.. हमें ये सब नहीं करना चाहिए।
मैंने उसकी एक बात ना सुनी और उससे लिपटा रहा।
उसने भी कुछ देर बाद मेरा विरोध करना छोड़ दिया और वो भी मेरा साथ देने लगी। हम दोनों ने लगभग 6-7 मिनट तक किस किया। फिर मैंने उसकी गर्दन पर किस किया.. तो वो एकदम से मूड में आ गई।
अब मैं उसकी सभी जगहों को छू रहा था। उसकी गांड.. चूचे सब मेरी हद में आ गए थे।
फिर मैंने उसे अपनी गोद में उठा लिया और अपने बिस्तर पर ले गया। मैंने उसे पीछे से अपनी बांहों में ले लिया और उसकी पीठ को किस करने लगा। वो मुझसे एकदम से सटी हुई थी, जिससे मेरा लंड उसकी गांड से लगने लगा।
फिर मैंने उसे बिस्तर पर लेटा दिया और उसकी ब्रा को खोल दिया। इसी के साथ मैंने अपने कपड़े भी खोल दिए। अब मैं उस पर लेट गया।
फिर हम दोनों ने दोबारा किस करना शुरू किया। मैं उसके मम्मों को दबाने लगा। मुझे उसके साथ ये सब करने में बहुत मजा आ रहा था.. मुझे तो ऐसा लग रहा था कि जैसे वो कोई जन्नत की हूर हो।
फिर मैंने उसके मम्मों को चूसना स्टार्ट किया.. तो वो अपने मुँह से तरह-तरह की आवाज़ें निकालने लगी। ‘अहह आहह.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… और जोर से आह..’
फिर मैंने उसके पेट को चूमना चालू किया और उसकी नाभि के साथ थोड़ा खेलने लगा।
उसको मजा आने लगा था, तो मैं उसकी चूत तक पहुँच गया। पहले मैंने उसकी पेंटी हटाई.. तो मानो मेरे सामने जन्नत आ गई हो। पूरी चूत एकदम शेव्ड की हुई थी… चूत पर एक भी बाल नहीं था।
चूत की रंगत एकदम मक्खन की तरह थी।
मैंने उसकी चूत को चाटना स्टार्ट कर दिया। वो एकदम एग्ज़ाइटेड हो गई और तरह-तरह की आवाज़ें निकालने लगी।
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उसकी चुदास भरी आवाज सुन कर मेरा और मूड बन गया.. और मैं और अच्छे से उसकी चूत को चाटने लगा।
कुछ देर बाद मैंने अपनी फ्रेंची में से अपना खड़ा लंड निकाला.. जो कि एकदम चूत चोदने को तैयार था।
मैंने उससे लंड चूसने के लिए कहा तो उसने मना कर दिया.. पर जब मैंने थोड़ा जोर दिया.. तो उसने लंड अपने मुँह में ले लिया। वो लंड चूस रही थी तो मुझे सनसनी हो रही थी।
आह.. क्या मजा आ रहा था दोस्तो.. मैं आपको बता नहीं सकता।
फिर उसने जोर-जोर से लंड हिलाना शुरू किया। वो ये पहली बार कर रही थी.. पर मुझे बहुत आनन्द आ रहा था।
क्योंकि मेरा भी ये फर्स्ट टाइम था.. तो कुछ ही देर बाद मैं उसके मुँह में ही अपना माल छोड़ने को हो गया। मैंने उसे पीने का इशारा किया.. पर वो मना करने लगी, तो फिर मैंने सारा माल उसके मम्मों पर निकाल दिया।
कुछ देर हम दोनों यूं ही मस्ती करते रहे।
अब मैंने कंडोम का पैकेट निकाला और उसको बोला- लो मुझे पहना दो।
वो मुझे आँख मार कर बोली- तूने पहले से ही सब तैयार कर लिया था!
मैंने भी हँस कर आँख मार दी, उसने मेरे लंड पर कंडोम पहनाया।
अब मैंने उसकी टांगें फैलाया दीं और अपना लंड उसकी गुलाबी चूत में घुसेड़ने लगा.. पर पहले शॉट में लंड नहीं घुसा। फिर मैंने सेकेंड अटेंप्ट में पूरा लौड़ा घुसा दिया.. वो बहुत जोर से चीख पड़ी ‘आहह उहम्म.. उम्मह हाय मम्मी.. मैं तो मर गई..’
मैं डर गया क्योंकि उसकी चूत से हल्का-हल्का खून निकलने लगा।
फिर भी मैं रुका नहीं.. हल्के-हल्के शॉट देता रहा.. वो चिल्ला रही थी ‘रुक जाओ.. यार बहुत दर्द हो रहा है.. उफ़..’
पर मानो मेरे अन्दर अब ब्रेक लेने का माद्दा ही नहीं था। कुछ देर बाद उसे भी मजा आने लगा.. फिर मैंने अपनी स्पीड बढ़ाई तो उसको थोड़ी देर दर्द हुआ.. पर उसने कुछ नहीं कहा।
फिर मैं एकदम स्पीड से चोदने लगा.. अब उसे भी मज़ा आने लगा।
उसने मजा लेते हुए कहा- अहह आहह.. उम्मम्मह.. ओह माय गॉड.. चोद दे.. और जोर से चोद.. अह..!
फिर कुछ देर बाद मैंने उससे कहा- मैं झड़ने वाला हूँ..!
तो उसने कहा- झाड़ दो.. बाद में जो होगा देखा जाएगा।
फिर मैंने फुल स्पीड से चोदा और कुछ ही पलों बाद ढेर सारा माल उसकी चूत के अन्दर डाल दिया। झड़ने के बाद मैं कुछ देर अपना लंड उसकी चूत में ही डाले हुए उसके ऊपर लेटा रहा और उसे किस करता रहा।
मैं उसके मम्मों को चूसता रहा.. क्योंकि ये मैं दूसरी बार झड़ा था.. इसलिए मेरे लंड में थोड़ा दर्द होने लगा था।
पर सच बता रहा हूँ कि मैं इस वक्त जन्नत में था। आज मेरे मन की मुराद पूरी हो गई थी, मैं बहुत खुश था।
फिर मैंने इसके बाद मैंने 2 बार और उसकी चूत को चोदा। इन दोनों बार भी मैं पूरा उसकी चूत में ही झड़ा था। लगभग रात में 2 बजे हम एक-दूसरे से अलग हुए। उसे भी मेरे लंड से चुदने में बहुत मजा आया और वो बहुत खुश थी कि मेरे लंड से उसकी सील टूटी।
फिर अगले दिन हम दोनों घर के लिए निकल गए।
आज भी वो मेरे साथ है.. हम दोनों को जब भी टाइम और मौका मिलता है तब चुदाई कर लेते हैं।
दोस्तो, आपको मेरी गर्लफ्रेंड की चुदाई की कहानी कैसी लगी.. मेल जरूर करना।
sambhavpatel9@gmail.com
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सहकर्मी आंटी को गांड मरवाने का शौक था


हैलो फ्रेंड्स, यह सेक्स स्टोरी आज से 6 महीने पहले की है।
मैं विक्रम कुमार जयपुर से हूँ, मेरी उम्र 26 साल है और कद 5 फीट 8 इंच है। मेरे लंड का साइज़ भी किसी अफ्रीकन जैसा लम्बा और मोटा है। आम तौर पर भारत में मेरे जैसे लंड मिलना दुर्लभ है।
अभी मैं जोधपुर के एक होटल में काम करता हूँ, इस होटल एक आंटी भी काम करती हैं.. उनका नाम सविता है। उनकी राखी नाम की एक बेटी भी है। सविता आंटी की उम्र 45 साल की है लेकिन आंटी की उम्र दिखने में 30 साल से ज़्यादा की नहीं लगती थी। उनकी बेटी की उम्र 19 साल की है। उनकी बेटी हैदराबाद से बी.टेक. कर रही है। आंटी यहीं होटल में ही रहती हैं.. उनके पति की 2009 में एक रोड एक्सिडेंट में मौत हो गई थी, तब से वो इस होटल में काम करती हैं।
आंटी का फिगर साइज़ 40-38-42 का बड़ा ही मादक है.. जब वो चलती हैं, तो उनकी गांड बड़ी ही कामुकता से हिलती है। आंटी के चूचे इतने टाइट हैं कि बिल्कुल सामने को निकल भागने की फिराक में रहते हैं।
एक दिन आंटी ने एक ड्रेस पहना हुआ था.. वो बिल्कुल ट्रांसपेरेंट था। जैसे ही मेरी नज़र आंटी पर पड़ी.. मैं उन्हें ही देखता रह गया। मैं उनके कामुक शरीर को देखने में इतना खो गया था.. कि आंटी ने मुझे कई बार आवाज़ लगाई और मैं सुन ही नहीं पाया।
फिर आंटी ने मुझे एक हल्का सी चपत मारी तो मुझे होश आया।
आंटी बोलीं- ऐसे क्या टुकुर-टुकुर कर क्या देख रहा है.. कभी कोई औरत नहीं देखी क्या?
मैं बिल्कुल चुप रहा।
फिर आंटी ने मुझसे रूम्स की डीटेल्स माँगी और हम रोज की तरह काम करने लगे। लंच टाइम में मैं अपने कमरे में चला गया।
फिर आंटी ने मुझे बुलाया और कहा- आज कुछ स्पेशल बना है.. साथ में खाएंगे।
मैंने ‘हाँ’ कहा और आंटी से बोला- मैं 10 मिनट में आता हूँ।
मैं फिर अपने कमरे में चला गया और मैंने टॉयलेट में जाकर अपने लंड को मुठ मार कर शांत करने लगा।
मुझे मुठ मारते समय आंटी का वो सीन बार-बार दिख रहा था.. जिससे मैं मेरे लंड को शांत नहीं करवा पा रहा था। मैं जोर से लंड हिलाने लगा.. वक़्त का पता ही नहीं चला। मैं आंटी के कामुक शरीर की याद में इतना खो गया था कि मुझे पता ही नहीं चला कि कब आंटी मेरे कमरे में आ गईं और मुझे देखने लगीं। जल्दीबाजी में मैं टॉयलेट का दरवाजा बंद करना भी भूल गया था।
फिर मुझे कुछ आवाज़ें आने लगीं ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’
मैंने पलट कर देखा कि आंटी ने अपनी जींस खोल कर अपनी चुत में उंगलियां घुसा रही थीं।
मैं आंटी के पास गया तो आंटी ने मुझे अपनी बांहों में जकड़ लिया और कहने लगीं- आज के लिए मैं तुम्हारी रानी हूँ.. तुम जो चाहो वो कर सकते हो। मुझे चुदे 12 साल हो गए हैं। मैं बहुत प्यासी हूँ.. मुझे चोद दो मेरे राजा.. मुझे चोद दो प्लीज़।
फिर वो पागलों की तरह मुझे चूमने लगीं और मेरे सारे कपड़े खोल दिए। मैंने भी आंटी को कसके पकड़ा और उन्हें किस करने लगा।
तभी अचानक से मेरे कमरे की बेल बजी तो मैंने फटाफट कपड़े पहने और दरवाजा खोलने लगा, तब तक आंटी बाथरूम में चली गईं।
गेट पर हमारे होटल के स्टाफ का एक मेंबर आया था और उसने कहा- मेम को सर ने बुलाया है।
मैं बोला- मेम अभी खाना खा रही हैं.. वो थोड़ी देर में आ जाएंगी।
स्टाफ का वो आदमी चला गया।
फिर मैंने गेट बंद किया और अन्दर आ गया।
आंटी बोलीं- राजा अपनी रानी को कपड़े पहना दो।
मैं आंटी को कपड़े पहनाना शुरू किया।
आंटी इस समय बिल्कुल नंगी थीं और उनकी चुत भी क्लीन शेव्ड थी। आंटी ऐसा गोरा-चिट्टा रंग कि पूछो ही मत।
मैंने पहले आंटी को पेंटी पहना दी। पेंटी ब्राउन कलर की थी और पेंटी में चुत के ऊपर वाले हिस्से में नेट लगा हुआ था। अब ब्रा पहनाने की बारी आई। आंटी की ब्रा भी ब्राउन कलर की थी और मम्मों के निप्पलों के ऊपर के हिस्से से ब्रा में भी नेट लगा हुआ था।
जैसे ही मैंने ब्रा पहनाई.. तो आंटी के चूचे आपस में ऐसे चिपक गए कि वो फिर से आजादी माँग रहे हों।
अब मैं थोड़ी से शैतानी पर आ गया और आंटी के एक दूध के निप्पल को मुँह में लेने लगा और दूसरे को उंगलियों से दबाने लगा।
लेकिन आंटी ने मुझे रोक दिया और कहने लगीं- बॉस बुला रहे हैं.. अभी नहीं बाद में करेंगे।
मैंने ‘ओके’ कहा।
अब आंटी टॉप और जीन्स पहनने लगीं।
हम लोग बाहर चले गए.. मैं रिसेप्शन पर और आंटी बॉस के केबिन में चली गईं। थोड़ी देर बाद बॉस ने मुझे बुलाया.. मैं डर गया कि कहीं आंटी ने बॉस को कुछ बता तो नहीं दिया।
अब मैं डरता-डरता बॉस के केबिन में चला गया।
बॉस ने मुझसे कहा- तुम्हें और सविता जी को हमारे उदयपुर वाले होटल को संभालना है.. और आप दोनों के लिए वहाँ एक घर भी है। आप वहाँ भी रह सकते हैं और होटल में भी रह सकते हैं, ये आप दोनों की इच्छा पर निर्भर होगा।
मैंने खुश होकर ‘हाँ’ कर दी और हम दोनों उदयपुर जाने की तैयारी करने लगे।
डिनर के वक़्त आंटी मेरे पास आईं और मुझे आँख मारकर बोलने लगीं- अब मैं और तुम और सेक्स ही सेक्स बस..
आंटी के चेहरे की खुशी और दिनों की खुशी से अलग थी.. इसलिए मुझे भी इस सबमें कुछ बुरा नहीं लगा। वैसे भी मुझे कहीं भी भेजा जा सकता था क्योंकि मैं अकेला ही था.. मेरे पेरेंट्स नहीं हैं।
हम दोनों लोग उदयपुर के लिए रवाना हो गए। रास्ते में आंटी मुझसे और ज़्यादा घुलमिल गईं और अब हम हर टाइप की बातें करने लगे।
उदयपुर पहुँचने के बाद आंटी और मैं सीधे हमारे होटल में गए और एक कमरे में सामान रख कर होटल का सर्वे करने लगे, उधर का एक सीनियर स्टाफ हमारे साथ हो गया।
हम लोग बहुत थक गए थे और भूख भी लग रही थी।
खाना ख़ाकर मैं थोड़ा टहलने जाने लगा.. तो आंटी भी मेरे साथ आ गईं।
फिर हम मार्केट की तरफ निकल गए। रास्ते में एक दुकान पर लिंगरीज का सैट बाहर डेमो पर लगा हुआ था, आंटी को पसंद आ गया और आंटी मुझे दुकान के अन्दर ले गईं.. उन्होंने और भी सैट देखे फिर एक खरीद लिया.. और फिर वापस होटल में आकर सो गए।
होटल में 3 कमरे वहाँ के रूम सर्विस स्टाफ के लिए थे।
कुछ दिन ऐसे ही निकल गए.. उस सीनियर स्टाफ के कारण आंटी की चुत नहीं चोद पा रहा था।
अब हम लोग उस घर में चले गए, जो सर ने हमें रहने के लिए दिया था। घर होटल से 10 मिनट की दूरी पर ही था। यहाँ शिफ्ट होने में हमें 3-4 दिन लग गए।
इन दिनों हम लोग बिल्कुल फ्री थे.. तो हम लोग भी उदयपुर घूमने लगे। सुबह घूमने निकल जाते और रात को थके-हारे वापस आते। शहर को 2-3 दिन में हम लोगों ने पूरा घूम लिया था।
अब सुबह मैं और आंटी होटल चले जाते और शाम को जल्दी आ जाते मगर इन दिनों आंटी की मासिक साइकिल शुरू हो गई थी तो कुछ भी जुगाड़ नहीं बन रहा था।
पांच दिन बाद मासिक खत्म होने के बाद शाम को आंटी बाथरूम में गईं.. बहुत देर तक नहीं आईं तो मुझे टेन्शन हुई। मैंने बाथरूम के की-होल से देखा, आंटी अपनी चुत में उंगली कर रही थीं।
मैं ये देख कर अपने लंड को हिलाने लगा और पूरी तरह से मदहोश हो गया।
आंटी को भी पता लग चल गया था.. तो उन्होंने गेट खोल दिया और कहा- राजा, आज रानी की चुदाई करोगे!
मैंने खुश होकर कहा- हाँ आंटी ज़रूर.. आपका ये राजा तैयार है।
बस आंटी मुझसे लिपट गईं।
कुछ देर चूमाचाटी के बाद हम दोनों अलग हुए और खाना आदि खाने के बाद आंटी ने मुझसे कहा कि कुछ देर मुझे कमरे में अलग छोड़ दो मुझे कुछ काम है।
मैं छत पर घूमने चला गया.. आंटी कमरे में घुस गईं। कुछ देर बाद जब मैं रूम में आया.. तो मैंने देखा कि रूम ऐसा लग रहा है जैसे किसी की सुहागरात हो।
आंटी बिस्तर पर दुल्हन के लिबास में बैठी थीं। आंटी ने मुझे देखा तो शर्माते हुए कहने लगीं- राजा आपका ही इन्तजार था.. मेरे करीब आ जाओ।
मैं आंटी के पास जाकर उनका घूँघट उठाया और उनके होंठों पर किस करने लगा। कुछ मिनट तक मैंने किस किया तो आंटी के शरीर में अजीब किस्म की कंपन सी होने लगी।
अब मैंने अपने कपड़े उतारे और आंटी के पूरे शरीर को चूमने लगा।
मैंने आंटी के ब्लाउज का हुक खोल दिया आज आंटी ने अन्दर फुल नेट की ब्रा पहन रखी थी.. वो भी ब्लैक कलर की। इसमें आंटी बड़ी हॉट और सेक्सी लग रही थीं।
अब मैं उनकी नाभि को किस करने लगा और उनके मम्मों को ब्रा के ऊपर से दबाने लगा।
आंटी पूरी तरह से गर्म होने लगीं और अपने पेटीकोट के ऊपर से ही अपनी चुत को रगड़ने लगीं।
अब मैंने आंटी का पेटीकोट भी अलग कर दिया। आंटी ने ब्लैक कलर की नेट वाली पेंटी पहन रखी थी।
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आंटी बार-बार मेरे लंड को छूने की कोशिश करने लगी। फिर मैंने उनके हाथ बाँध दिए और उनकी तड़प को बढ़ाने लगा। काफी देर तक मैं अपनी उंगली और जीभ से ही उनकी चुत और नाभि को चूमता और चूसता रहा।
कुछ मिनट में आंटी का माल निकल गया.. आंटी झड़ चुकी थीं।
अब मेरा लंड भी आंटी की चुत में जाने के लिए तड़प रहा था। लेकिन अभी आंटी के मुँह में लंड को देने की बारी थी, मैंने अपना लंड आंटी के मुँह में दे दिया। चूँकि आज मैं फर्स्ट टाइम किसी के साथ सेक्स कर रहा था, इसलिए कुछ ही देर में मैं भी झड़ गया। आंटी का पूरा मुँह मेरे माल से भर गया था।
अब मैंने आंटी के हाथ खोल दिए.. और आंटी की चुत को किस करके अपने लंड को उनकी चुत पर लगा दिया। लंड के स्पर्श से आंटी ने चुत और खोल दी। मैंने पहला धक्का दिया तो थोड़ा सा लंड अन्दर घुस गया।
आंटी के मुँह से जोर से आवाज़ आई- अह.. मर गई.. फाड़ ही देगा क्या.. तेरा बहुत बड़ा है.. छोड़.. मुझे नहीं चुदना!
लेकिन मैं नहीं माना और मैंने फिर से एक जोर से धक्का लगा दिया।
आंटी तड़फ कर छटपटा उठीं, पर मेरी मजबूत पकड़ से छूट नहीं पाईं।
इस बार मेरा पूरा लंड आंटी की चुत में जा चुका था और आंटी की चुत लगभग फट चुकी थी। आंटी की चुत से खून निकल आया था और आंटी भी बेहोश हो गई थीं।
मैं थोड़ा डर गया था.. लेकिन मैंने अपना लंड नहीं निकाला और आंटी के ऊपर ही लेट गया।
कुछ देर बाद आंटी को होश आया और मैं फिर से शुरू हो गया। अब आंटी भी सपोर्ट करने लगीं। शुरू में तो मैं धीरे-धीरे धक्के लगाता रहा और फिर मैं स्पीड में आ गया।
चुदाई के साथ साथ मैं आंटी को किस कर रहा था और उनकी चूचियों को पिए जा रहा था। आंटी की चूत की प्यास भी बुझने लगी थी।
करीब 15 मिनट बाद आंटी अपने उफान पर आ गई थीं। अगले दो धक्कों में आंटी का रस निकल गया। वो झड़ कर एकदम निढाल हो गई थीं।
अब वो मुझे रोक रही थीं- अब मेरे बस की नहीं है.. तुम बस करो..!
लेकिन मैं तो अभी तक झड़ा ही नहीं था, तो चुत को चोदना कैसे रोक देता। बस 5 मिनट बाद मैं भी झड़ गया और मैंने लंड को चुत से खींच कर पूरा माल आंटी के मुँह में डाल दिया।
अब मैं ओर आंटी नंगे ही लेट गए।
कुछ देर बाद आंटी खड़ी हुईं और बाथरूम में चली गईं.. वो नहाने लगीं।
मैं भी उनके साथ अन्दर चला गया और नहाने लगा, हम दोनों एक-दूसरे को मलने लगे और नहलाने लगे।
कुछ देर बाद आंटी मेरे करीब आकर मेरे शरीर को किस करने लगीं और पलट कर अपनी गांड को मेरे लंड से रगड़ने लगीं।
आंटी अभी भी भूखी लग रही थीं। उनकी चुत की खुजली मिट चुकी थी.. लेकिन पीछे की गांड मरवाने की चाहत अधूरी थी।
अभी रात के 2:30 बज गए थे। मैंने आंटी से कल गांड मारने की बात कही और हम दोनों अंडरगार्मेंट्स में ही सो गए।
सुबह आंटी चाय बनाकर लाईं.. उन्होंने मुझे उठाया और किस करने लगीं।
आंटी बोलीं- फटाफट रेडी हो जाओ.. आज बॉस आने वाले हैं। तुम अपने रूम में शिफ्ट हो जाओ.. और फिर होटल चलो।
मैंने चाय पी.. फिर फ्रेश हो कर रेडी हो गया और होटल जाने लगा।
तभी आंटी ने मुझे रोका और अपने साथ जाने के लिए कहा।
मैं और आंटी होटल गए। शाम में बॉस का फोन आया कि वो आज नहीं आ पाएंगे.. तो हम लोगों ने भी आज होटल में रुकने का प्लान किया।
हम होटल में रुके और मैं आंटी और वहाँ के एक सर्विस रूम में रुक गए।
रात को अचानक से मेरी नींद खुली तो मैंने देखा कि आंटी रूम में नहीं हैं। मैं उन्हें ढूंढता-ढूंढता होटल के कॉमन टॉयलेट में चला गया.. वहाँ आंटी अकेली ही थीं।
मैंने पूछा- आंटी क्या हुआ?
तो आंटी ने कहा- खुजली हो रही थी.. बस वही मिटाने यहाँ आ गई।
उनके हाथ में एक मूली थी.. जिस पर माल लगा था। मैंने आंटी को कसके पकड़ा और वहीं उनके सारे कपड़े उतार दिए।
आज उन्होंने अपनी गांड आगे कर दी तो मैं उनकी गांड मारने लगा। ऐसा लगता था कि आंटी को गांड मराने का बड़ा शौक था.. बड़े आराम से मेरा मूसल लंड आंटी की गांड में अन्दर-बाहर हो रहा था।
आंटी की गांड मारने में बहुत मजा आ रहा था.. मैं कभी उन्हें घोड़ी बना कर पेल रहा था.. तो कभी खड़े करके चोद रहा था।
कुछ देर चुदने के बाद आंटी को सुकून मिल गया।
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