January 2018

Wednesday, 10 January 2018

अनजान लड़की से दोस्ती और चुदाई स्टोरी


अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज साईट पर हिंदी चुदाई कहानियां पढने वाले मेरे प्यारे दोस्तो सखियो, भाभी और आंटियो, मेरा नाम राज है. मैं अमृतसर पंजाब का रहने वाला हूँ. मेरी पिछली सेक्स स्टोरी
लुधियाना की पटाखा देसी माल गर्ल की चुत चुदाई की वो रातें 
आपने पढ़ी होगी. मैं आप सबका थैंक्स करता हूँ कि आपने मेरी हिंदी सेक्स स्टोरी काफी पसंद की.
अब मैं नई रियल सेक्स स्टोरी लेकर आया हूँ. मैं आशा करता हूँ कि ये भी आपको पसंद आएगी.
यह बात 2013 की है, मैं किसी काम से कपूरथला (पंजाब का ही एक शहर) गया था. जब मैं बस से वापस आ रहा था तो बस में कुछ ही सवारियां थी. मेरे से आगे साइड वाली सीट पर मुझे एक लड़की अपने फोन को लेकर झुंझलाती हुई सी दिखी. मैंने उसकी तरफ ध्यान से देखने लगा, वो परेशान थी, शायद फोन का लॉक चूल गई थी. वो इधर उधर देख रही थी तो उसकी नजर मुझ पर पड़ी, मुझे उसकी ओर देखते हुए देख कर वो मुझ से बोली- मेरे फोन में नेटवर्क नहीं आ रहा… आप मेरी मदद करेंगे क्या?
मैंने कहा- कोई जरूरी फोन करना है तो मेरे फोन से कर लो.
वो बोली- नहीं, मैं अपने फोन से ही करूंगी. आप ज़रा देख लो कि नेटवर्क क्यों नहीं आ रहा?
यह कहते हुए वो मेरे पास ही आकर बैठ गई.
मैंने उससे उसका फोन लिया तो वो नेटवर्क कैच नहीं कर रहा था. मैंने उसका फोन रिबूट कर दिया.
दो मिनट बाद फोन खुल गया और उसमें नेटवर्क आ गया. मैंने उसे फ़ोन दे दिया.
उसने मुझे थैंक्स बोला, फिर उसने कोई नम्बर मिलाया और वो फ़ोन पर बात करने लगी.
मैंने उसको किसी लड़के से बात करते हुए सुना था तो मुझे समझ आ गया था कि बंदी (बन्दा का स्त्रीलिंग यानि लड़की) अपने ब्वॉयफ्रेंड से बात करने में लगी थी.
जब उसने बात खत्म कर ली तो मैंने उससे पूछा- तुम अपने ब्वॉयफ्रेंड से बात कर रही थी?
वो बोली- नहीं वो मेरा फ्रेंड है बस.
मैंने बोला- तो तुम्हारा कोई ब्वॉयफ्रेंड है?
वो बोली- नहीं.
मैंने बोला- ओके.. नहीं है तो मेरे से फ्रेंडशिप कर लो.
वो मना करने लगी, जब मैंने उससे दो तीन बार बोला, तो वो बोली- मैं आपकी सिर्फ दोस्त बन सकती हूं.
मैंने बोला- ठीक है.
और उसे अपना फोन नम्बर दे दिया. कुछ यों ही इधर उधर की बातें हमने की और हम अपने गन्तव्य पर पहुँच गए.
बस से उतर कर बाय बोल कर हम अपने अपने रास्ते हो लिए.
तीन चार दिन बाद मुझे उसका फ़ोन आया उसने मुझे उस दिन के लिए फिर थैंक्स बोला. मैंने भी उससे अच्छे से बात की. इसके बाद हमारी फ़ोन पर कई बार बात हुई. जब भी मैं उससे फ्रेंडशिप के लिए बोलता, तो वो मना कर देती.
ऐसे तीन महीने तक चला, फिर एक दिन वो मान गई लेकिन वो मुझे मिलती नहीं थी.
कई महीने तक उससे फोन पर ही बात होती रही. मैं भी तंग हो गया कि साली मिलती ही नहीं है, मैंने उसे इग्नोर करना शुरू कर दिया. अब मैं उसका फ़ोन भी पिक नहीं करता था.
फिर उसने मुझे बताया कि उसने कॉलज में एडमिशन ले लिया है, अब वो मुझे मिल सकती है.
इसके बाद हमने एक मॉल में मिलने का प्लान बनाया. मैंने पहले उस पर इतना ध्यान नहीं दिया था, मॉल में जब हम मिले तो मैंने उसके फिगर को नजर भर के देखा था. मैं उसके बारे में आपको बता दूँ उसके दूध 32 इंच के थे, कमर 28 की और गांड 30 की थी. उसका रंग सांवला था.
मॉल में हमने मूवी भी देखी. मूवी देखते हुए मैंने उसका हाथ पकड़ा और फिर तो मैंने उसे किस की, उसने भी कोई आपत्ति नहीं की. लेकिन जब मैंने उसकी चुची पकड़ने की कोशिश की तो उसने मेरा हाथ हटा दिया. मैंने सोचा कि पहली बार तो शायद शरमा रही है या नाटक कर रही है. लेकिन इसके बाद जब भी मैं उससे मिलता और उसके दूध को हाथ लगाता, तो वो मना कर देती थी. ऐसे ही हम दो तीन बार मिले, जब भी मैं दूध को हाथ लगाता वो गुस्सा हो जाती. एक बार तो मैंने उसकी ब्रा में हाथ डाल दिया, तो वो रोने लगी.
मैंने उसे छोड़ दिया, मैं उससे नाराज हो गया. मैंने उससे बोला- मैं अब तुमको कभी नहीं मिलूँगा, अगर मिलना है तो मैं तुम्हारी चूचियों को टच करूंगा, मुँह में भी लूँगा.
मेरे जोर देने पर वो तैयार हो गई.
अगले महीने मेरा जन्म दिन था. मैं फिर उसे मॉल में ले गया. आज सिनेमा हॉल खाली था, कुछ लोग ही थे. मैंने उसे किस किया, उसके दूध को हाथ से मसलने लगा. वो गर्म होने लगी. फिर मैंने उसकी एक चूची को मुँह में ले लिया और चूसने लगा. उसके मुँह से कामुक सीत्कारों की आवाजें आने लगीं. मैंने उसकी दोनों चूचियों को मुँह में लेकर खूब पिया. उसकी चूचे एकदम कड़क हो गए थे. फिर मैं उसकी चूत को हाथ लगाने लगा तो उसने मेरा हाथ हटा दिया और बोली- प्लीज़ तुमने दूध को टच करने का वादा किया था.. बस.
मैंने ज्यादा जोर नहीं दिया, उस दिन इतना सब ही हो पाया. फिर हम वापस आ गए. अगले महीने उसका जन्म दिन था. उसने मुझे बताया तो मैंने उससे मिलने को बोला.
वो मान गई पर मैंने उससे बोला- मैं तुम्हें अब रूम में मिलना चाहता हूँ.
वो मना करने लगी. मैंने बहुत जोर दिया. मुझे पता था कि वो मुझे प्यार करने लगी है, वो मुझे मना नहीं करेगी. थोड़े नखरे के बाद वो मान गई. मैंने होटल में रूम बुक कर लिया. उसे रूम में लेकर गया, पहले उसे जन्म दिन के गिफ्ट में एक घड़ी दी. वो उसे देख कर खुश हो गई और मुझे गले से लगा लिया.
मैं उसे किस करने लगा और उसके बूब्स को सहलाने लगा. फिर टॉप के अंदर हाथ डाल कर उसकी चूचियां मसली मैंने… फिर टॉप ऊपर करके उसकी चूचियो को ब्रा से निकाल कर चूसने लगा. वो गर्म होने लगी, अपने हाथ से मेरे सर को अपनी छाती पर दबाने लगी.
अब मैं एक एक करके कपड़े उतारने लगा. पहले उसका टॉप उतारा, उसने नीचे ब्लैक ब्रा पहनी हुई थी, मैंने वो भी उतार दी. अब ऊपर से वो अब पूरी नंगी मेरे सामने थी. मैं उस पर टूट पड़ा.. फिर से मैंने उसके दूध पीना शुरू किए. वो और गर्म होने लगी. मैं कभी उसके होंठों पर होंठ रख कर चूसता, तो कभी उसके दूध चूसता. वो मस्त हो गई.
अब मैंने उसकी जीन्स पर हाथ डाला, जींस के ऊपर से ही उसकी चूत को सहलाने लगा. एक आध बार उसन मेरा हाथ हटाया लेकिन फिर उसने मुझे नहीं रोका. अमिने उसकी जींस का बटन खोला और साथ ही जिप भी खोल दी. अंदर मुझे उसकी ब्लैक पैंटी दिखी. मैंने जींस के अंदर पैंटी के ऊपर से उसकी चूत सहलाई और दो मिनट बाद ही मैं उसकी जींस उतारने लगा. थोड़ी सी ना नुकुर के साथ उसने अपनी जींस उतरवा ली. मैंने उसकी पेंत्य्य में हाथ डाल दिया. उसकी चूत गीली हुई पड़ी थी. थोड़ी देर चूत सहलाने के बाद मैंने उसकी पनती भी उतार ड़ी और उसे पूरी नंगी कर दिया.
फिर मैंने उसे मेरे कपड़े उतारने को बोला. वो एक एक करके मेरे कपड़े उतारने लगी. पहले मेरी टी-शर्ट उतारी, फिर मेरी पेंट उतारी और रुक गई.
मैंने उससे अपना अंडरवियर उतारने को बोला तो वो शर्मा गई, बोली- तुम खुद उतारो.
मेरे जोर देने पर उसने मेरे अंडरवियर को उतारा.
मेरा लंड देख कर वो डर गई और बोली- इतना बड़ा..! मैं मर जाऊंगी.
मैंने बोला- मैं तुमको मरने नहीं दूँगा मेरी जान.
फिर मैंने अपना लंड उसके हाथ में दे दिया. वो उसे अपने हाथ से आगे पीछे करने लगी. फिर मैंने उसे लंड को मुँह में लेने को बोला, उसने मना कर दिया तो मैंने भी ज्यादा जोर नहीं दिया.
अब मैं अपने मुँह को उसकी चूत के पास ले गया और चुत पर किस करने लगा. पहले तो उसने मुझे ऐसा करने मना किया… लेकिन मुझे पता था कि एक बार मेरी जीभ उसकी चूत को छू गई तो वो आनन्द से पागल हो जाएगी. मैंने जबरदस्ती अपना मुंह उसकी चूत पे लगा दिया और अपनी जीभ उसकी चूर की दरार में फिराने लगा, वो एक दम सिहर गई, उस मजा आया. फिर मजे से चूत चुसवाने लगी. मैं भी अपनी जीभ से उसके चूत के दाने को रगड़ने लगा. वो दाने पर मेरी जीभ की रगड़ से पागल होने लगी और मेरे बाल पकड़ कर चूत पर दबाने लगी.
पांच मिनट तक मैंने उसकी चूत को चूसा, वो अपने चूतड़ इधर उधर हिला कर अपनी चूत चत्वा रही थी, उसे गुदगुदी हो रही थी.
कुछ देर बाद जब उसकी कामुकता उसके काबू से बाहर होने लगी तो वो मुझे अपने ऊपर को खींचने लगी. मैं समझ गया कि अब वो पूरी गर्म हो गई है और मेरा लंड अपनी चूत में लेने को तैयार है.
मैं उसके ऊपर आ गया, मैंने अपने होंठ उसके निप्पल पर रखे और चूसने लगा. मेरा लंड उसकी चूत को छू रहा जो उसे और तड़पा रहा था. मैं अपने कूल्हे हिला कर अपने लंड को उसकी चूत पर रगड़ने लगा. वो अपनी चूत को उठा कर मेरे लंड पर मारने लगी.
फिर मैंने धीरे से लंड का टोपा उसकी चूत के छेद पर टिकाया और एक धक्का लगा कर अंदर पेल दिया, उसकी एकदम से चीख निकल गई. मैं अपने होंठ उसके होंठ पर रख कर उसे किस करने लगा. जब वो थोड़ी शांत हुई, तो फिर मैंने एक शॉट से आधा लंड उसकी चुत में उतार दिया. उसकी आंख से आंसू निकल आए और चुत से खून भी निकलने लगा. मैंने धीरे धीरे अपना पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया और थोड़े बाद वो अपनी कमर हिलाने लगी.
मैं भी धीरे धीरे अपना लंड अन्दर बाहर करने लगा. कुछ ही पलों में वो कमर उठा कर मेरा साथ देने लगी.
फिर मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी. अचानक से उसका बदन काँपने लगा, वो झड़ गई. मैं भी थोड़ी देर बाद झड़ गया और उसके ऊपर गिर गया.
हम ऐसे ही लेटे रहे. मैं फिर उसे किस करने लगा और उसकी चूचियों को मुँह में लेकर चूसने लगा. वो फिर गर्म हो गई. मेरा लंड भी खड़ा हो गया था. अबकी बार मैंने उसे अपने ऊपर ले लिया. वो मेरे लंड पर बैठ गई और ऊपर-नीचे होने लगी. मैं भी नीचे से चूत में लंड पेलने लगा और उसे किस करने लगा. कुछ मिनट तक हमने फिर चुदाई की, फिर हम दोनों साथ में झड़ गए. इस बार टाइम काफी लग गया था.
फिर हम दोनों कपड़े पहन कर वहाँ से निकल गए. इसके बाद मैंने कई बार उसकी चुदाई की और गांड भी मारी.. उससे लंड भी चुसवाया.
दो साल तक उसके साथ खूब मजे से चुदाई की, फिर अब अचानक उसने मुझे मिलने से मना कर दिया, पता नहीं क्या हुआ उसे. अब वो मेरे से बस फ़ोन पर बात करती है.
कैसी लगी मेरी रियल चुदाई की स्टोरी, मुझे मेल करके अपने विचार जरूर बताना.
मेरी ईमेल आईडी है.
nishanseema@gmail.com
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भोला भाई और चुदक्कड़ बहन


मेरे प्यारे दोस्तो, मैं माया आपको तहे दिल से शुक्रिया करती हूं कि मेरी पिछली चुदाई की कहानी
मेरी सहेली ने मुझे बिगाड़ा… गर्म कर खोल दिया नाड़ा
को आपने पसंद किया. मुझे ढेर सारी इमेल करने के लिए बहुत धन्यवाद.
दोस्तो, मैं माया फिर से एक नई और रियल सेक्स कहानी लेकर आपकी समक्ष हाजिर हूं.
मेरी सहेली अलका ने मुझे चुदक्कड़ बना दिया था. अब हम दोनों सहेलियां मिलकर रोज नए नए लड़कों से चुदाती थीं. मुझे भी बड़े बड़े लंड लेने की आदत सी हो गई थी. सच में बहुत मजा आता था.. जब मोटा लंड जब मेरी चूत में जाता.
मैं स्कूल भी जाती और अलका जब फोन करती, तब वहाँ भी जाती थी. अलका जहाँ आने को कहती मैं वहाँ बेहिचक चली जाती.
पर एक दिन किस्मत ने साथ छोड़ दिया. पापा के फोन पर अलका का फोन आया पापा ने मुझे दिया और कहा- तेरी सहेली अलका का फोन है.
मैंने फोन लिया, अलका बोली- माया कल एक नया लड़का है दिनेश बुलाकर लाएगा, मजा आएगा. कहाँ पर मिलेंगे?
मैं बोली- तेरे घर पर.
वो बोली- नहीं, घर पर सब होंगे.
मैं बोली- कहीं भी फिक्स करो, मुझे कई दिनों से लंड की तलब लगी है.
वो बोली- हमारी खंडहर स्कूल है ना वहां पर बुला लेती हूँ.. कल दोपहर को 1 बजे फिक्स कर रही हूँ.. तू आ जाना.
उसने फोन रख दिया.
दूसरे दिन मैं चुत में लंड लेने के लिए तैयार होकर जाने लगी और माँ से बोली- माँ मैं सहेली के साथ बाहर घूमने जा रही हूँ.. शाम को देर से आऊँगी.
माँ बोलीं- अच्छा जाओ, जल्दी आना.
घर वाले मुझ पर बहुत भरोसा करते थे. मैं उस खंडहर स्कूल में गई, वहाँ पर अलका उसका बॉयफ्रेंड पहले से थे.
मैं बोली- और कोई नहीं लाए साथ में?
दिनेश बोला- मेरा दोस्त जो आने वाला था, वो अचानक बाहर चला गया.
मैं बोली- तो मेरा क्या होगा?
वो बोला- आज मैं अकेले ही दोनों को स्वर्ग दिखाऊंगा.. पहले दोनों पूरी नंगी हो जाओ.. मुझे तुम्हारी चूत चाटनी है.
मैं और अलका जल्दी से अपने कपड़े उतार कर कुतिया की तरह घुटनों पर बैठ गईं. वो बारी बारी से दोनों की चूत में जीभ डालता. मुझे बहुत मजा आ रहा था.
तभी मेरे पापा आ गए और दिनेश को पकड़ लिया. उन्होंने दिनेश को खूब गालियां दीं और उसे मारने लगे. दिनेश किसी तरह उनसे खुद को छुड़ाकर भाग गया. हमने अपने जैसे तैसे कपड़े पहने.
पापा बोले- छिनाल कहीं की तूने मेरा नाम मिट्टी में मिला दिया, कितना भरोसा था तुझ पर.. और तू कुतिया बन कर चुदा रही है.. और अलका तू तो मेरी नजरों दूर हो जा साली.. घिन आती है तुझे देखकर. मेरी छोटी बच्ची को कैसा बना दिया साली तूने.. ये तेरी संगति का असर है. ये मेरी गलती थी कि तुझसे दोस्ती करने दी. जिसकी माँ रंडी हो, उसकी बेटी कैसे सावित्री हो सकती है. तुझमें थोड़ी भी इंसानियत बाक़ी हो तो मेरी बेटी से कभी मत मिलना. चल भाग इधर से. वो तो मैंने अपने फोन में रेकॉर्डिंग सॉफ्टवेयर इंस्टॉल किया है. एक घण्टा पहले ही तुम्हारी बातें सुनी, तो सारा माजरा समझ गया और भागता हुआ यहाँ आया.
फिर क्या घर पर पापा ने मुझे खूब मारा. मम्मी ने मुझे छुड़ाया.
पापा बोले- साली रोज दोपहर को मुंह काला करवाने जाती है.
माँ बोली- जवान लड़की को नहीं मारते.. मैं समझा दूंगी..
अब पापा ने बाहर पढ़ाई भी बंद करवा दी. ऐलान कर दिया कि घर पर पढ़ाई करो, पेपर स्कूल में देने, मैं साथ चलूंगा.
इससे बाहर घूमना फिरना सब बंद हो गया. फिर दिन बीतते गए और मेरी चुदास इतनी बढ़ गई कि कोई भी मर्द देखूँ तो सीधी उसके लंड पर नजर जाती. चूत में तेज सी खुजली होती, पर क्या करती.. उंगली तो गहराई तक नहीं जाती. मैं तड़पती रह जाती.. मुझे लंड के लाले पड़ गए थे.
फिर एक दिन मेरी किस्मत खुल गई. मेरा भाई जिगर जो उम्र मुझसे 7 साल बड़ा है, जो थोड़ा सा मंदबुद्धि है, नार्मल नहीं है. मैंने कभी भाई को उस नजर से नहीं देखा था.
फिर एक दिन आँगन में जिगर भैया ने फावड़े पर पैर रख दिया.. फावड़ा सीधा दोनों जांघों के बीच में जोर से लगा. भैया जोर से चिल्लाने लगे.
मम्मी वर्षा और मैं घर से आँगन में आई तो देखा भाई बेहोश पड़ा है.
मम्मी जल्दी रिक्शा बुला कर दवाखाने ले गईं. दो घण्टे बाद वापस आईं. हमने मिलकर रिक्शा से भैया को उतारा. भाई चल नहीं सकता था. रात को खाना खाकर सब टीवी देखने लगे. पापा जल्दी सो जाते हैं.
रात के 11 बजे मम्मी बोलीं- माया, भाई की दवाई ला दो, हॉल में अलमारी में रखी है.
मैंने वो थैली लाकर मम्मी को दी. मम्मी बोलीं- माया भाई को उसके गुप्तांग में चोट लगी है.. मालिश करनी पड़ेगी.
मैं बोली- माँ मुझे शर्म आती है, तुम कर दो.
माँ बोली- हे भगवान, किस जन्म के कर्मो का बदला ले रहा है तू.. इस निखालस को तो बक्स दे.. इसने तेरा क्या बिगाड़ा है.
और माँ रोते हुए बोलीं- बच्चे, पागल और पशु से नहीं शर्माना चाहिए बेटी माया.. चल मेरी मदद तो करेगी.
हम भैया के रूम में गए, भैया सोये हुए थे. मम्मी बोलीं- इसकी पेन्ट उतारो.
मैंने भाई की पेन्ट उतारी, अन्दर कुछ भी पहना नहीं था. भाई का लंड 5 इंच का सोया हुआ था, ऊपर बाल बहुत थे. नीचे आंड सूज गए थे.
मम्मी बोलीं- हे भगवान, इस निष्पापी जान पर क्यों सितम कर रहा है.
माँ तेल हाथों में रगड़ कर लंड पर मालिश करने लगीं. माँ ने आंड को छुआ तो भैया जाग गए, बोले- मम्मी मम्मी क्या कर रही हो.. दर्द होता है.
मम्मी बोलीं- बेटे तुझे धरासना तेल की मालिश कर रही हूं ताकि तेरा दर्द दूर हो जाये. तू सो जा बेटे.
वो सो गए.
अचानक भाई का लंड खड़ा होने लगा. एकदम लोहे के रॉड जैसा 8 इंच से भी थोड़ा बड़ा हो गया. मम्मी भैया के लंड की मालिश कर रही थीं. मैं आँखे फाड़ कर लंड देख रही थी.. और सोच रही थी कि भैया का लंड इतना बड़ा है. मुझे तो ऐसा लगा जैसे रेगिस्तान में प्यास से मरने वाले को झरना दिखा हो.
मैंने कभी भी भैया को इस नजर से नहीं देखा था.
मम्मी ने आधा घण्टा मालिश की, फिर हम सब सो गए.
सुबह 6 बजे पापा को फोन आया, हमारे गांव में मेरी छोटी चाची का देहांत हो गया है. फिर 6:30 बजे मम्मी पापा ने गाँव के लिए निकल गए. मम्मी जाते वक्त मुझसे बोलीं- माया बेटी, सबका ख्याल रखना.. हम दो दिन बाद आएंगे.
मेरी तो भगवान ने सुन ली. रात को मैंने खाना बनाया. हम सबने खाया और टीवी देखने लगे. रात 11 बजे छोटी बहन वर्षा सो गयी थी. मैंने टीवी बंद की और भैया के रूम में गई दवा लेकर गयी.
भैया जाग रहे थे. मैं बोली- मेरे प्यारे भैया आप अभी जाग रहे हैं. मैं आपको दवा लगा देती हूं. आप पेन्ट उतार दीजिए.
“दीदी मुझे शर्म आती है. तुम मुझे दवा लगाओगी?”
“हाँ..”
“नहीं मैं माँ से ही लगवाऊँगा, मुझे शर्म आती है दीदी.”
मैं बोली- भैया माँ मुझे बोल कर गई हैं. मैं ही लगाऊंगी, तुम आँखें बंद कर लो. मैं लगा दूंगी, ठीक है.. जब तक मैं ना कहूँ, तब तक खोलना नहीं.
भैया राजी हो गए और मैंने उनकी पेन्ट उतारी, लंड पे तेल लगा कर मालिश करने लगी.
लंड खड़ा हो गया, मुझे भी चुदास चढ़ने लगी. मैंने देखा भैया की आँखें बंद हैं. मैंने अपने ऊपर का टॉप उतार दिया और एक हाथ से अपने चूचे मसलने लगी. लंड देख कर मुझे ठरक चढ़ने लगी और मेरी चूत में जलन होने लगी. मैं अपनी पेन्ट के ऊपर से अपना हाथ डाल कर अपनी चूत में उंगली करने लगी. एक हाथ से लंड की मालिश करने लगी. फिर हाथ से भैया के आंड को छुए, भैया को दर्द हुआ तो भैया ने अचानक आँखें खोल दीं और मुझे देखा तो मेरे हाथ मेरी पेन्ट में थे. मैंने जल्दी जल्दी हाथ निकाला और लंड की मालिश करने लगी.
भैया बोले- दीदी तुमने ऊपर का कपड़ा क्यों उतार दिया?
मैं बोली- भैया मुझे गर्मी लग रही है, इसलिए उतार दिया.
उसने कहा- दीदी तुम अपनी पेन्ट में हाथ डालकर हिला क्यों रही थीं?
मैं बोली- अभी आई भैया.
मैं बाथरूम से मेरी पीरियड वाली पेन्टी ले आई और भैया को हाथ में दी. वो बोले- क्या है ये? खून इतना खून कहाँ से आया?
मैं बोली- मुझे भी पैरों के बीच गहरी चोट लगी है, इसलिए मैं भी मेरी पेन्ट में हाथ डालकर दवा लगा रही थी.
वो बोला- तुम्हें ये चोट कैसे लगी दीदी?
मैंने कहा- बाथरूम में साबुन पे फिसल गई और नल के पे जा गिरी, नलका मेरी टांगों के बीच में चिर कर अन्दर तक जा लगा. नलका तो निकल गया, पर जखम नहीं भरा. तुम्हें देखना है?
मैंने झट से अपनी पेन्ट उतारी दी और मेरी पेन्टी भी. मैं बोली- भैया बहुत दर्द होता है. भाई मेरी चूत देखने लगा.
मैंने कहा- भैया मुझे भी आप दवा लगा देंगे?
भैया बोले- हाँ दो, लगा दूँ.
मैं चूत फाड़ कर भैया के सामने बैठ गई. भैया ने मेरी चूत पर तेल रगड़ा और उंगली से अन्दर बाहर करने लगा. मुझे तो अच्छा लगा.
मैं बोली- और अन्दर तक तेज से करो.. मजा आ रहा है भाई..
अब मेरे सामने थे- मेरी चूत की भूख और भाई का लंड
मुझे भाई का लंड लेना था. मैंने सोचा क्या करूँ. मैं बोली- भाई दर्द बहुत अन्दर हो रहा है. आप और उंगली घुसाओ.
भैया बोले- पूरी उंगली डाल दी दीदी.
मैं बोली- भैया अन्दर कुछ और डालो, जो उंगली से बड़ा हो.. तभी अन्दर तक दवा लगेगी.. ये मुकाम तक पहुँची ही नहीं है.
भैया सोच में पड़ गए कि क्या डालूँ.
मैं बोली- भाई आपक़े सूसू के ऊपर में दवा लगा दूँ, फिर मुझे आप लगा देंगे ना.
भैया का लंड ढीला पड़ गया था. मैं बोली भैया पहले मैं आपकी सूसू बड़ा कर दूँ.. फिर अन्दर तक पहुँच जाएगा.
मैंने भैया का लंड पकड़ा और मुंह में भर लिया और लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी. लंड खड़ा हो गया मैं और चूसने लगी.
भइया बोले- मुझे सूसू में गुदगुदी हो रही है.
मैं बोली- भैया थोड़ी देर और..
मैंने पूरा लंड निगल लिया और भैया ने कहा- आह.. मुझे पेशाब लगी है.
मैं बोली- भैया तुम मुँह में कर दो.
भैया ने पेशाब कर दी, मेरे मुँह में पूरा भैया का लंड था. मैंने निकाला नहीं. मेरे नाक से पेशाब निकलने लगी. मैंने थोड़ी सी पेशाब पी, मुझे अच्छी लगी भैया के मूत का अच्छा स्वाद था नमकीन..
फिर लंड पर तेल लगाकर बोली- भईया अब सूसू को मेरी सूसू में डालिये.
मेरे भोले भैया ने अपनी बहन की चूत पर लंड रखा और एक ही धक्का मारा आधा लंड अन्दर चला गया. मेरी जोर से चीख निकल गई, आंसू भी निकल आए. कितने महीनों से किसी का लंड अन्दर जो नहीं गया था. मेरी प्यारी सी चूत टाईट हो गई थी.
भैया डर गए और लंड निकाल दिया. मैंने कहा- भैया निकालो नहीं.. वो तो मुझे पलंग में कोना लगा था, इसलिए मेरी चीख निकल गई.
भैया मेरी तरफ देखने लगे.
मैंने कहा- भैया आराम से अन्दर डालिये.
तभी मुझे दरवाजे पर कोई है ऐसा लगा. मैंने कहा- जरा रुकिए भैया, मैं बाहर सूसू करके आती हूं.
मैंने हॉल में जाके देखा कोई नहीं था. फिर मेरी छोटी बहन वर्षा के रूम में जाकर देखा, वो भी सो रही थी. रात के 1 बजे थे.
मैं वापस अन्दर आई और अपनी टांगें उठा के भैया से कहा- भैया अब डालो.
मेरे भोले भैया ने फिर से लंड डाला. एक बार में आधा घुस गया. मैंने कहा- और अन्दर डालो.
भैया ने फिर धक्का दिया, पूरा लंड मेरी चूत में समां गया. मुझे थोड़ा दर्द हुआ पर मैं सह गई. लेकिन भैया भोले थे, लंड डालकर पड़े थे. मैं बोली- भैया अन्दर बाहर करो.. तभी तो अन्दर मालिश होगी ना.. तब ही दवा अन्दर लगेगी.
तो उसने पूरा लंड बाहर निकाल दिया फिर डाला स्लोमोशन में.. मुझे मजा नहीं आ रहा था.
मैं बोली- आप नीचे हो जाओ, मैं आपके ऊपर बैठ जाती हूं.
शायद उसे भी अच्छा लग रहा था. वो नीचे हो गए, मैं भैया के ऊपर चढ़ गई. मैंने अपनी चूत पर थूक लगाया और लंड पर बैठ गई. फिर मैं अपने चूतड़ हिलाने लगी, भैया का पूरा लंड लेने लगी. मुझे चुत में जन्नत का मजा सा अनुभव हुआ.
फिर भैया बोले- मुझे सूसू पर गुदगुदी हो रही है.
तभी उनकी वीर्य की गरम गरम जोर से पिचकारी छूटी जो मेरी चूत की दीवारों से टकराई.
वो थक से गए और बोले- मुझे अब सोना है दीदी.. अब मुझे दर्द हो रहा है.
मैं बोली- होने दो.
मैं और जोर से गांड हिलाने लगी. अब मेरे मुँह से खुद ब खुद कामुक आवाज निकलने लगीं- मह्ह्ह् मह्ह्ह्ह् अह्ह्ह अह्ह्ह..
थोड़ी देर “उम्म्ह… अहह… हय… याह…” हुई और मेरा भी काम हो गया.
मैंने सोचा लड़कियां गांड में कैसे लेती हैं, ये भी ट्राय करके देख लूँ आज मौका है. मैंने अपनी गांड पर थूक लगाया और धीरे धीरे लंड पर बैठने की कोशिश की. पर लंड गया ही नहीं, शायद कभी गांड मरवाई ही नहीं इसलिए छेद बहुत छोटा था.
अब 2 बज गए थे. मैंने कहा- भैया आपको मजा आया?
भैया बोले- दीदी तुम्हें दवा अन्दर तक लग गई?
मैं बोली- हाँ एकदम अन्दर तक..
वो बोले- अब साबुन का ख्याल रखना. बाथरूम में अंधी होके फिर से नलके के ऊपर मत गिरना.
मैंने कहा- नहीं गिरूँगी, अब ख़्याल रखूंगी.
मैंने कहा- भैया ये किसी से कहना नहीं. भैया बोले- क्या..?
“वो आपने जो दवा लगाई उसके बारे में..”
भैया बोले- मैं क्या पागल हूं कि सबसे कहता फिरूंगा कि मेरी बहन की सूसू में मैंने दवा लगाई.
मैंने कहा- मेरे प्यारे भैया सो जाओ.
मैंने बाथरूम में जाके चूत धोई अच्छी तरह से झुक कर नलके से चुत लगाई और नलका चालू किया. प्रेशर से पानी चूत में भर गया और उंगली से साफ की, फिर नलका पर लगी सब मलाई बाहर निकाल दी. प्रेगनेंसी का खतरा में नहीं लेना चाहती, फिर जाके वर्षा के पास सो गई.
सुबह मैं उठी तो वर्षा स्कूल जा चुकी थी. मैं अपने काम में लग गई, फिर खाना बनाया. दोपहर को वर्षा वापस आई और खाना खाकर बोली- मुझे सर में दर्द है मुझे नींद आ रही है.
बेडरुम में जाकर वो सो गई. उसने यूनिफार्म भी नहीं बदला. मैंने खाना खाया और सोचा थोड़ा आराम कर लूँ. मैं बेडरूम में गई तो वर्षा सोई हुई थी.
उसकी यूनिफार्म का स्कर्ट ऊपर था जिससे पेन्टी साफ दिख रही थी. वो भी जवानी की दहलीज़ पर थी. मैंने सोचा देखूँ तो सही कि छोटी बहन कितनी जवान हुई है.
मैं उसके पास सो गई और उसकी ड्रेस को थोड़ा ऊपर किया और बहन के स्तन पर हाथ फेरा. संतरा के आकार से थोड़े छोटे थे, नींबू से बड़े.. चीकू समझ लीजिएगा. फिर मैंने थोड़ा निप्पल को धीरे से दबाया, कुछ हरकत नहीं हुई, वो गहरी नींद में थी. फिर मैंने उसके दोनों स्तनों को दबाया, अब भी कुछ हरकत नहीं हुई. वो बहुत गहरी नींद में थी.
फिर मैंने उसके होंठों को किस किया, कुछ भी रिस्पॉन्स नहीं था. मैंने उसकी पेन्टी निकाली और उसकी चूत पर हाथ फेरा. चुत पर अभी छोटे छोटे बाल आये ही थे. मैं उसकी नन्ही सी अनचुदी चूत को मसलने लगी तो उसकी सांसें तेज हो गईं. फिर गांड पर हाथ फेर कर देखा, बिल्कुल छोटी सी थी. मैंने एक अपनी उंगली उसके मुँह में डाली और गांड के छेद में रगड़ने लगी. धीमे धीमे अन्दर डालने लगी. उंगली आधी डाल दी तो वो हिलने लगी.. मैंने झट से निकाल ली. सोचा जग जाएगी.
फिर मैंने उसकी चूत में उंगली डाली तो चूत में पहले से पानी था.. मैं समझ गई कि मेरी बहन जाग रही थी और मजे ले रही थी. साली सोने का नाटक कर रही थी. मैंने जोर से गांड में उंगली घुसेड़ दी. वो चीख पड़ी और उठ कर बोली- दीदी तुम भी ना मुझे सोने क्यों नहीं दे रही. रात को भी भैया से साथ और दिन को मुझे..
मैं तो एकदम से चौंक पड़ी. मैं बोली- रात को? क्या रात को..??
वो बोली- दीदी मुझे सब पता है. रात को 11 बजे से 2 बजे तक मैंने सब सुना भी और सब देखा भी.. भैया को आपने दवा लगाई और भैया ने आपको.. वो भी लंड से..
कमाल है.. मैं तो वर्षा को देखती रह गई.
मुझे जरूर बताईएगा कि रियल चुदाई की कहानी कैसी लगी.
मेरी छोटी बहन वर्षा को मैंने कैसे मैंने चुदक्कड़ बनाया.. ये अगले भाग में लिखूंगी.
mayatrivedi1999@gmail.com
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मेरी जयपुर वाली मौसी की ज़बरदस्त चुदाई-1


दोस्तो, मेरा नाम कुनाल सिंह है, मैं कानपुर का रहने वाला हूँ, फिलहाल मैं दिल्ली में रहता हूँ, कभी कभी कानपुर में भी जाता रहता हूँ।
यह बात कुछ साल पुरानी है, तब मैं 19 साल का था, मेरी जवानी अपने परम पर थी, हर तरफ बस चूत ही नज़र आती थी। स्कूल के टाइम में लंड हिलाना तो सीख गया था। कई बार तो घर में पकड़ा भी गया था। पर ये नशा ऐसा हैं एक बार लग जाये तो जल्दी नहीं उतरता।
‌मुझे घूमने का बहुत शौक है इसलिए मैंने सोचा कि मैं जयपुर घूम आ जाऊं क्यूँकि वहां मेरी सगी मौसी रहती थी। मैंने अपने घर वालों से पूछा तो उन्होंने साथ चलने को मना कर दिया। इसका मतलब यह था कि मुझे अब अकेले ही यात्रा करनी थी।
मैंने ट्रेन का टिकट देखा तो सब ट्रेन फुल थी। अब मुझे सफ़र बस से करना था।
मैंने शताब्दी बस पकड़ी और चल दिया कानपुर से जयपुर के लिए। पर बस सिर्फ दिल्ली तक की मिली। फिर मुझे दिल्ली से जयपुर के लिए अलग बस पकड़नी थी। मैंने रात में शताब्दी बस में बैठा था तो उसमें कई शादीशुदा महिलायें भी थी। सच बोलूं तो मुझे शादीशुदा भाभियां ज्यादा पसंद हैं। मैं रास्ते में बस में जाते टाइम अपना खड़ा मोटा लंड उनकी गांड पे रगड़ता हुआ गया और रात में जहां बस रुकी वहां पर अपना माल गिरा के सो गया।
मैं सोच रहा था कि अगर कोई मिल जाए तो सुबह तक तबला बजाऊँ उसकी चूत और गांड का। चुदी हुई माल को चोदने का मज़ा ही अलग होता है। जी भर के चुदाई करने की आग होती है उनके अन्दर।
खैर सुबह हुई और मैं दिल्ली पहुँच गया। मैं दिन भर दिल्ली घूमा और शाम को बीकानेर हाउस से जयपुर के लिए वॉल्वो बस पकड़ी। मुझे आखरी सीट मिली और मैं जा कर बैठ गया वहां।
थोड़ी देर बाद एक मस्त मोटी गांड वाली आंटी आई अपने एक बच्चे से साथ और बच्चे को बीच में बैठा कर खुद खिड़की की तरफ बैठ गयी।
क्या मस्त मम्मे थे उसके… मन कर रहा था कि सारा दूध पी जाऊं। फिर किसी तरह अपने लंड को संभाला और बैठ गया। फिर धीरे धीरे मेरी उनसे बात होने लगी। आँखों में काजल, गुलाबी होठ जिन्हें चूस चूस के काट के खा जाने का मन करे। मोटे मोटे गाल मान लो वो काटने के लिए ही बने हो। मखमली गर्दन जिसको चूमने और चूसने से कभी मन न भरे।
उन्होंने अपना नाम सोनिया बताया, वो नॉएडा की रहने वाली थी, जयपुर अपने पति के घर वालों से मिलने जा रही थी। मन तो था कि चोद चोद के इसका सारा पानी निकाल दूं। पर मैंने सोचा कि थोड़ा रुक जाता हूँ, वरना बात बिगड़ सकती है।
मेरी दूसरी ओर एक कपल बैठा था। वो एक दूसरे को बांहों में लिए हुए थे। शायद नयी नयी शादी हुई थी उनकी, इसलिए चुदाई का पूरा खुमार उनके सर चढ़ कर बोल रहा था। पति अपनी बीवी
के मम्मे दबा रहा था तो बीवी ने अपने आप और अपने पति को एक हल्की चादर से ढक लिया था। बस फिर क्या था, अब पूरी आज़ादी के साथ पति उसके मम्मे दबा रहा था। पति का चेहरा लाल हो गया था लिपस्टिक की वजह से। वो कभी कभी चूमते, कभी बूब्स दबाता।
चादर डालने के बाद चूत और गांड में उंगली डालना भी चालू। पत्नी भी बड़ी मस्त दिखती थी, उसने भी लंड हाथ में लेने में देरी नहीं की और हल्के हल्के से हिलाने लगी। वो कुछ दिख तो नहीं रहा था पर फिर भी उनके हाव भाव, उनकी सिसकारियाँ सब कुछ बयाँ कर रही थी। कभी ज़रा सी सिसकारी या ज़रा सी चीख़ सब कुछ बयाँ कर देती थी। थोड़ी देर में चादर थोड़ी गीली हो गयी तो दोनों की हँसी छूट गयी।
मैं भी देख कर मुस्कुरा दिया।
पर कुछ ही दूरी पर वो उतर गए।
मैं उदास हो गया उनके उतर जाने के बाद। लाइव मस्ती देखने का मज़ा ही कुछ और है।
पर फिर मैंने अपना ध्यान वापस भाभी पे लगाना चालू किया। वो चोरी चोरी मेरे खड़े लंड को देख रही थी जैसे उसको पकड़ के खा जाएँगी। उनकी आँखों में वो सेक्स की प्यास साफ़ नज़र आ रही थी।
बीच में बस रुकती तो एक दो बार वो बस से उतरी तो मैंने अपना लंड उनकी प्यारी उठी हुई गांड से रगड़ दिया।
हाय वो उनके चेहरे पे कातिलाना मुस्कान।
उनका बेटा खिड़की की तरफ सरक गया तो वो मेरे साथ ही बैठ गई अब… उन्होंने बताया कि वो टीचर हैं। टीचर होती ही हैं एक दम सेक्सी पटाका माल, टिप टॉप रहने वाली। उनके डीप नेक कुरता से उनका क्लीवेज साफ़ नज़र आ रहा था। बस निप्पल छुप रहे थे ब्रा से। बस चलते वक़्त काफी हिलती है, मैं भी हिल हिल के उनको छूने लगा। शायद ये उनको पसंद आया जो उनके चेहरे पे कातिलाना मुस्कान बता रही थी।
मैंने धीरे से उनके एक मम्मे पे हाथ रख दिया, उनका चेहरा एक मुस्कान से खिल उठा। मैं धीरे धीरे उनके मम्मे को सहलाने लगा। हमारे पास कोई चादर नहीं थी इसीलिए कुछ और नहीं कर पाए। उनका बच्चा अगर छोटा होता तो शायद दूध भी पीने को मिल जाता।
मम्मे को कस के मसल देने से उनकी अहह निकल गयी। उनका बच्चा सोया हुआ था इसीलिए कोई दिक्कत नहीं हो रही थी मस्ती करने में। उनकी वो आह और उस प्यासी नज़र से मेरे मोटे लम्बे लंड को देखना मुझे अभी तक याद हैं।
अगला स्टॉप उनका ही था, उन्होंने मुझे एक लम्बा सा किस दिया मेरे गाल पर और अपना एड्रेस दिया और कहा- खाने पे आना।
मैं समझ गया कि क्या खाने के लिए बुला रही वो! मैंने हँस कर हां कर दी और वो अपने स्टॉप पे मुस्कुराते हुए उतर गयी। शायद काफी दिनों से प्यासी थी बेचारी। मैंने भी सोच लिया था कि मौसी के यहाँ से आने के बाद इसकी ज़रूर बजाऊंगा।
अब मैं जयपुर पहुँचने वाला था, थोड़ी देर के बाद जयपुर में मेरा स्टॉप आ गया। मैं उतरा और ऑटो बुक करके मौसी के यहाँ पहुँच गया। मौसी को मेरे आने के समय का पटा था तो वो बालकनी में खड़े होकर मेरा इंतज़ार कर रही थी।
मैं उनके अपार्टमेंट पे जैसे ही ऑटो से उतरा, उन्होंने मुझे आवाज़ दी और गेट कीपर को मुझे अंदर भेजने को बोला।
जैसे ही मैं दूसरी मंजिल पे पंहुचा, उन्हें देख के मैं दो मिनट के लिए वैसे ही खड़ा रहा, उनकी पर्पल कलर की नाईट ड्रेस में वो सेक्स क्वीन लग रही थी। मोटे होठों पे गहरे लाल रंग की लिपस्टिक। ब्रा नही पहनी थी शायद तब उन्होंने तब, उनकी बूब्स के बीच की लाइन दिख रही थी।
मेरा ध्यान तब वापस आया जब उन्होंने मुझे आवाज़ लगा के बुलाया- कुणाल कहाँ खो गए तुम?
मैं अचानक से हड़बड़ाया और उनके पैर छूने के लिए बढ़ा। मैंने उनके पैर छूए फिर उन्होंने मुझे अपने गले से लगा लिया। सीने से लगा तो उनके नर्म मगर विशाल मम्मे मेरे सीने से लगे। आग तो मेरे लंड में पहले से ही लगी पड़ी थी, उनके सीने से लगते ही मैंने भी उनको अपनी बाहों में जकड़ लिया और कस उनके सीने से चिपक गया। उनके विशाल और नर्म मम्मे मेरे सीने से भींच गए। कितना आनन्द आता है, मोटी औरत से गले मिल कर जब उनके प्लस साइज़ के मम्मे आपके सीने से लगते हैं।
मौसी की तरफ से पूरा स्नेह था, मगर मेरी तरफ से शुद्ध वासना थी। मैं चाहता था कि मैं मौसी से ऐसे ही चिपका रहूँ, और उनके मस्त मम्मों को अपनी छाती से दबाता रहूँ। मगर शायद मौसी की इस बात का एहसास हो गया था कि लड़का जवान है, इसके साथ ज़्यादा चिपका चिपकी ठीक नहीं इसलिए वो थोड़ा सा पीछे को हटी तो मैं भी उनसे अलग हो गया, मगर इस 5 सेकंड की मिलनी ने ही मेरी पैन्ट टाईट कर दी थी।
रास्ते भर मैं ऐसे ही अपने लंड को टाईट करता आया था, यहाँ मौसी ने भी गले मिल कर फिर से मेरा लंड टाईट कर दिया। मुझसे अलग हो कर मौसी को जैसे थोड़ी सी शर्म सी आई, और उन्होंने मेरे चेहरे की तरफ नहीं देखा, बल्कि नीचे देखने लगी।
नीचे जब उन्होंने मेरे मेरी पेंट में मेरे तने हुये लंड को देखा तो एक दम से पीछे को हटी और मुझे अपने घर के अंदर ले गई।
“आओ कुनाल, अंदर आओ.” वो बोली और आगे आगे चल पड़ी, और मैं उनकी नाईटी में उनकी मस्त मोटी गांड को देखता हुआ उनके पीछे चल पड़ा।
अंदर उन्होंने मुझे अपने बच्चों से मिलवाया। मौसा जी कहीं बाहर गए हुये थे, कुछ दिन के लिए। जब मौसी ने मुझे बताया, तो मुझे लगा अगर मौसा के आने से पहले मैंने मौसी को पटा लिया,
तो इतने दिन और इतनी रातें मुझे चूत चोदने का भरपूर आनन्द मिल सकता है।
खाना खाने के बात कुछ देर हम सब टीवी देखते रहे, और फिर थोड़ी देर बाद मौसी ने सब को सोने को कहा। मेरी तो छुट्टियाँ थी, मगर बच्चों ने तो अगले दिन स्कूल जाना था।
मैं भी उठ कर बाथरूम में गया और कपड़े बदल कर आया। रात को मैं सिर्फ बनियान और लॉन्ग निकर पहन कर ही सोता हूँ। आज मौसी के घर आया था, तो मैंने जानबूझ कर अपनी चड्डी उतार दी थी, ताकि मौसी मेरी निकर में मेरे आज़ाद झूलते लंड को अच्छी तरह से देखे, क्या पता मौसाजी की जुदाई में वो मुझ गरीब पर ही मेहरबान हो जाएँ।
बच्चे सब एक साथ एक रूम में सोने चले गए तो मौसी ने मुझे कहा- तुम ऐसा करो, हमारे रूम में सो जाओ।
मैंने पूछा- और आप कहाँ सोयेंगी?
वो हंस कर बोली- अरे मैं तो कहीं भी सो जाऊँगी।
मैंने मन में सोचा- जानेमन, मेरे साथ आकर सो जा न, सारी रात तेरी चूत का बाजा बजाऊँगा।
मैं बार बार मौसी के मम्मों की तरफ ही देख रहा था क्योंकि मौसी की नाईटी में से बाहर को उभरे हुये उनके निप्पल मुझे अपनी तरफ जैसे खींच रहे थे कि आओ और हमें मसल दो। मगर जब तक मौसी नहीं कहती, मैं कैसे उन पर हाथ डाल सकता था। सो मैं उनके कमरे में गया, और बेड पे चादर ले कर लेट गया।
मौसी आई और रूम की लाइट बंद करके बाथरूम में चली गई, मैं बेड पे लेटा मौसी को सोच कर अपना लंड सहलाने लगा।
थोड़ी देर में मौसी बाहर आई तो उनके कपड़े बदले हुये थे। मैं सोच कर हैरान था कि जब पहले नाईटी पहन ही रखी थी, तो अब दूसरी नाइट ड्रेस पहनने की क्या ज़रूरत थी। अब मौसी ने हल्के गुलाबी रंग की टी शर्ट और टाईट लोअर पहना था। इस ड्रेस में उनके बड़े बड़े मम्मों के कड़क निप्पल और मोटी मस्त जांघों का भरपूर दर्शन हुआ।
मौसी ने अपना फोन उठाया और बाहर गेलरी में चली गई, और मौसा जी से कितनी देर फोन पर बात करती रही। मेरी काम वासना बढ़ती जा रही थी, मैं अपना लंड हिलाता रहा। थोड़ी देर बाद मुझे पेशाब आया तो मैं उठ कर बाथरूम में चला गया। बाथरूम में दरवाजे के पीछे मौसी की पहले पहनी हुई नाईटी और एक चड्डी टंगी हुई थी। मुझ को तो जैसे कोई इनाम मिल गया हो। मैंने वो चड्डी उतार कर अपने हाथ में ली और सबसे पहले उसे अपने नाक से लगा कर सूंघा।
क्या मस्त सुगंध आई उस में से चूत की। चड्डी थोड़ी सी गीली भी थी, या तो वो मौसी की चूत का पानी था, या मौसी ने पेशाब करके अपनी चूत धोई होगी, उसका पानी होगा। दोनों ही सूरत में पानी चूत से ही चड्डी पर लगा होगा।
मैंने उस जगह को, जहां मौसी की चूत लगी होगी, वहाँ अपनी जीभ से चाटा, फिर धीरे से बोला- ओह मेरी सेक्सी मौसी, इस जगह पर तेरी चूत का छेद लगा होगा. और फिर उस जगह को चाटा। मैंने मौसी की पूरी चड्डी अंदर से, अपनी जीभ से चाट डाली।
फिर मैंने मौसी की नाईटी उतार ली और जहां जहां उसके मोटे मम्मे होंगे उस सारी जगह को चूमा और चाटा। अब ये सब मेरी बर्दाश्त से बाहर होता जा रहा था, मैंने अपनी निकर उतार दी और मौसी की चड्डी पहन ली, ताकि मैं जहां मौसी की चूत उस चड्डी पर घिसी होगी, मैं वहाँ पर अपना लंड भी घिसा सकूँ।
इससे भी बात नहीं बनी तो मैंने मौसी की नाईटी भी पहन ली, फिर अपना तना हुआ लंड अपने हाथ में पकड़ा और मुट्ठ मारनी शुरू की।
क्या मस्त मज़ा आया, इस तरह अपनी वासना की पूर्ति कर के।
जब मेरा माल गिरा तो मैंने मौसी की नाईटी में ही गिरा दिया, जिससे वो सामने से गीली हो गई। मैं भी चाहता था कि मौसी अगर अपनी नाईटी देखे तो उसे पता चले के यहाँ पे एक मर्द की जवानी का माल गिरा है।
उसके बाद मैंने फिर से अपने कपड़े पहने और बेड पे आ कर सो गया।
मौसी अभी भी फोन पे लगी थी।
थोड़ी देर में मुझे गहरी नींद आ गई, मौसी कब आ कर मेरे साथ सो गई, मुझे कुछ पता नहीं चला।
अगली सुबह सो कर उठा तो मेरे लंड ने मेरी चादर को तम्बू बना रखा था। मैने सबसे पहले ये जानने की कोशिश की कि मौसी कहाँ है।
वो किचन में थी, और शायद काम वाली आई थी, उसके साथ वो कुछ काम करवा रही होंगी। मैं वैसे ही मचल कर लेटा रहा।
इतने मौसी मेरे सामने आई, और मुझे जागा देख कर बोली- अरे तुम उठ गए, मैं अभी तुम्हारे लिए चाय लेकर आती हूँ।
और वो वापिस चली गई।
सुबह के 10 बज चुके थे, वो नहा धो कर एक दम से फ्रेश लग रही थी, उन्होंने बड़ा खूबसूरत सा टाईट सा पंजाबी सूट और लेगिंग पहनी थी। मैं लेटा लेटा फिर से अपने लंड को चादर के ऊपर से ही सहलाने लगा। मैं चाहता था कि मौसी मेरे खड़े लंड को ठीक से देख लें, ताकि उन्हे पता चल जाए कि कितना बड़ा लंड मैं अपने कच्छे में उनके लिए घूम रहा हूँ।
पांच मिनट में ही वो चाय का कप हाथ में लिए फिर से मेरे सामने प्रकट हुयी। मैंने ऐसे एक्टिंग की जैसे मैं उनके जाने के बाद फिर से सो गया था। बड़ी आँखें मलते, जम्हाई लेते, अंगड़ाई सी लेते हुये मैं उठा।
मौसी जब मुझे चाय देने के लिए थोड़ा झुकी तो उनके खूबसूरत गोरे और विशाल मम्मों की एक खूबसूरत झलक उनके कमीज़ के गले से मुझे देखने को मिली। उनका क्लीवेज देख कर मैं तो चाय पकड़ना ही भूल गया।
जब मौसी ने मेरी निगाह उनके मम्मों पर फिसलती हुई देखी तो वो थोड़ा संभल गई और सीधी खड़ी हो गई। मैंने उनसे चाय पकड़ी और उनको ‘थैंक यू’ कहा।
उन्होंने भी चादर के अंदर मेरे तने हुये लंड की पूरी शेप बनी हुई देख ली थी। उनको भी यह एहसास हो चुका था कि मेरे पास भी एक अच्छा औज़ार है, और उस से मैंने उनकी पूरी तसल्ली कर सकता हूँ।
आज तक मौसी ने मुझे कभी भी इस नज़र से नहीं देखा था, मगर आज न जाने क्यों वो जाती हुई मुड़ी और मुझे एक प्यारी सी स्माइल दे कर गई।
मैंने चाय का कप एक तरफ रखा और बिस्तर पर ही उछल पड़ा और धीरे से फुसफुसाया ‘यस…’
शायद मौसी को भी संभावना अपने लिए दिखी।
चाय पीने के बाद मैं बाथरूम गया, फ्रेश हो कर नहा धो कर बाहर आया, नए कपड़े पहने।
काम वाली लड़की आई, वो कमरे में झाड़ू पोंछा कर गई, 19-20 साल की वो भी मस्त माल लगी मुझे।
मगर मेरा सारा ध्यान तो मौसी की ओर था और कोई काम तो था नहीं सो मैं मौसी के साथ ही काम करवाता रहा, कभी उसके साथ मटर निकलवा रहा हूँ, कभी गाजर छिलवा रहा हूँ, और बातों बातों उन्हें खूब हँसाया, खुश किया।
मौसी खूब खुल कर हँसती हैं, और ऊंची आवाज़ में हँसती हैं।
सारा दिन वो मेरे सामने रही और मैंने जी भर कर उनके कपड़ों में उभर रहे उनके कोमल अंगों को ताड़ा। मौसी भी जान चुकी थी कि उनके बदन पर मेरी निगाह कहाँ कहाँ घूम रही है, मगर उन्होंने कोई परवाह नहीं की, दुपट्टा उन्होंने लिया नहीं जिस वजह से मुझे बहुत आसानी हुई।